नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए Rasm-o-Rivaj‘ New Urdu Shayari, Hindi Shayari 2020, रस्म-ओ-रिवाज’ पर शायरी लेकर आये हैं जिन्हें पढ़कर आपको अच्छा लगेगा।
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Rasm-o-Rivaj’ New Urdu Shayari
1. रस्म-ओ-रिवाज शायरी
रस्म-ओ-रिवाज छोड़ के सब आ गए यहाँ,
रक्खी हुई हैं ताक़ में अब ग़ैरतें तमाम।
rasm-owe-rivaj chod kay sub aa gaye yahaan,
rakkhi hui hain taq mein ab gairten tamam.
2. ज़रा सी बात शायरी
ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था,
दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था।
zara see baat pay hara rasm tod aya tha, dil-a-tabah ney bhi kya mijaaj paya thaa.
3. तिरे रिवाज शायरी
मैं अपनी राह निकालूँगा अपनी मर्ज़ी से,
मुझे नहीं हैं ज़माने तिरे रिवाज पसंद।
main apni rah nikalunga apni marzi sey, mujhe nahin hain zamane tire rivaj pasande.
4. हुनर Shayari in Hindi
रिवाज-ओ-रस्म का उस को हुनर भी आता है,
मुझे बुलाता भी है मेरे घर भी आता है।
rivaj-owe-rasm kaa us ko hunar bhi ata hai,
mujhe bulata bhi hai mere ghar bhi ata hai.
5. गुनाह हिंदी शायरी
तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो,
मुझ को भी पूछते रहो तो क्या गुनाह हो।
tum jano tum ko gaair sey joe rasm-owe-rah ho,
mujh ko bhi poochate raho to kya gunah how.
Hindi Shayari 2020, रस्म-ओ-रिवाज’ पर शायरी
6. ख़मोशी से शायरी
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम।
khamoshi sey ada ho rasm-a-duri,
koi hungama barpa kyoon karen ham.
7. इश्क़ की रस्म shayari
इश्क़ की रस्म निभाना थी निभा ली मैं ने,
दर्द की बस्ती बसाना थी बसा ली मैं ने।
ishq key rasm nibhana thee nibha lee main ney, dard key basti basana thee basa lee main nei.
8. शिकस्त देकर हिंदी शायरी
कुछ अब के रस्म-ए-जहाँ के ख़िलाफ़ करना है,
शिकस्त दे के अदू को माफ़ करना है।
kuch ab kay rasm-a-jahan kay khilaf karna hai,
shikast de kay adu ko maf karna hai.
9. खेल सब रस्म का shayari
खेल सब रस्म का था रस्म निभाई न गई,
ज़िंदगी हम से तिरे तौर बिताई न गई।
khel sub rasm kaa tha rasm nibhai na gaye,
jaindagi hum sey tire taur bitai na gaii.
10. खेल है ये क़िस्मत शायरी
रस्म है ये दुनिया की खेल है ये क़िस्मत का,
चाहते जिसे हम हैं वो नहीं है चाहत का।
rasm hai yeh duniya key khel hai yeh kismat kaa,
chahte jise hum hain vo nahin hai chahat kaa.
11. वो रहगुज़र नही उर्दू शायरी
रहते हैं दूर दूर हम रस्म-ओ-रिवाज-ए-ज़ीस्त से,
चलते हैं जिस पे आम लोग अपनी वो रहगुज़र नही।
rehte hain door door hum rasm-owe-rivaj-a-jaist sey,
chalate hain jis pay aam log apni vo rahguzar nahiee.
तो दोस्तो Hindi Shayari 2020, रस्म-ओ-रिवाज’ पर शायरी पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।
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