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पंखों की टोकरी – बोलने से पहले हमेशा सोचें | Think Before You Speak Stories | Short moral stories

 पंखों की टोकरी – बोलने से पहले हमेशा सोचें | Think Before You Speak Stories | Short moral stories

नमस्कार दोस्तों आपका हमारी साइट पर हार्दिक स्वागत है। आज हम आपके लिए एक Short Story with Moral Lesson लेकर आये हैं। जिसमें आप को हमेशा यह सोचना चाहिए कि हम क्या बोल रहे हैं। अथवा बोलने से पहले सोचना चाहिए।

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पंखों की टोकरी – बोलने से पहले हमेशा सोचें | Think Before You Speak Stories | Short moral stories

पंखों की टोकरी – बोलने से पहले हमेशा सोचें

एक बार एक किसान का अपने पड़ोसी से झगड़ा हो गया।  लड़ाई के दौरान किसान इतना क्रोधित हो गया कि उसने अपने पड़ोसी से कई बुरी और असभ्य बातें कही।

 कुछ समय बाद किसान को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह अपनी बात वापस लेना चाहता था लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।

 तभी उन्हें पता चला कि एक संत उनके गांव आ रहे हैं।  इसलिए, उन्होंने संत के पास जाकर समाधान पूछने का फैसला किया।

 वह संत के पास गया और उसे सारी बात बताई और उससे अपने शब्दों को वापस लेने का तरीका बताने के लिए कहा।

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संत ने किसान से कहा, “पहले जाओ और एक खुली टोकरी में ढेर सारे पंख इकट्ठा करो और फिर उन्हें गाँव के बीच में रख दो और वापस आ जाओ।”

 किसान ने वैसा ही किया और अगले दिन संत के पास वापस चला गया।

 संत ने कहा, “अब जाओ और उन पंखों को वापस लाओ।”

 किसान उन्हें लेने वापस चला गया, लेकिन जब वह वापस आया तो हवा के कारण सारे पंख उड़ चुके थे।

 किसान खाली हाथ संत के पास लौटा और उससे कहा, “मैं उन पंखों को वापस नहीं ला सकता क्योंकि टोकरी में कोई नहीं बचा था क्योंकि वे सभी हवाओं से उड़ गए थे।”

 संत ने उससे कहा, “आपके द्वारा बोले गए शब्दों के साथ भी ऐसा ही होता है।  आप उन्हें आसानी से कह सकते हैं लेकिन चाहकर भी उन्हें वापस नहीं ले सकते।

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 गुस्से में किसी को कुछ कड़वा और बुरा कहने से पहले आपको यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि आपकी बातें वापस नहीं ली जा सकतीं।  इसलिए क्रोध के समय चुप रहना ही श्रेयस्कर है।”

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