Best Motivational Story in hindi 2021
बस कंडक्टर और पुजारी एक प्रेरणादायक कहानी
दोस्तों जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए हमें अपने आप को प्रेरित रखना चाहिए क्योंकि आप अपने आप को प्रेरित रखेंगे तो आपके काम बनते चले जायेंगे।
Motivational story की आज की कड़ी में हम आपके लिए एक बस कंडक्टर और पुजारी की Best Motivational Story लेकर आये हैं। इस प्रेरणादायक कहानी को पढ़कर आप अपने आप को प्रेरित महसूस करेंगे।
इन प्रेरणादायक कहानी की कड़ी में आपको हमारी साइट पर Motivational story for students, Motivational Story in Hindi, Short Motivational Story in Hindi और Motivational story in English For students पढ़ने को मिलेंगी।
दोस्तों इस प्रेरणादायक कहानी को आप अपने मित्रों के साथ share जरूर करें। तो प्रस्तुत है आपके लिए बस कंडक्टर और पुजारी की एक प्रेरणादायक कहानी।
नगर में रहने वाला एक पुजारी दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। एक दिन पास के गांव में स्थित मंदिर के एक पुजारी की आकस्मिक मृत्यु के कारण, उन्हें वहां पुजारी नियुक्त किया गया।
गांव जाने के लिए वह बस में चढ़ा और कंडक्टर को किराए के पैसे देकर सीट पर बैठ गया।
कंडक्टर ने किराया काट कर पैसे वापस किए तो पुजारी ने पाया कि कंडक्टर ने मुझे दस रुपये अतिरिक्त दिए।
पुजारी ने सोचा, “थोड़ी देर बाद मैं कंडक्टर को पैसे लौटा दूंगा।”
कुछ देर बाद पुजारी ने सोचा, “मैं दस रुपये जैसी छोटी राशि के लिए बेवजह परेशान हो रहा हूं। आखिर ये बस कंपनियां भी लोगों से लाखों की कमाई करती हैं।
अत: इस धन को ईश्वर की देन के रूप में रखना ही श्रेयस्कर है। मैं उनका सदुपयोग करूंगा।”
कुछ ही देर में उनकी बस गांव के बस स्टॉप पर पहुंच गई।
लेकिन जैसे ही वह पुजारी बस से उतरा, उसके पैर अचानक रुक गये।
उसने अपनी जेब में हाथ डाला और दस रुपये निकालकर बस कंडक्टर को दे दिए और पुजारी ने कहा, “भाई, आपने मुझे किराया काटकर दस रुपये ज्यादा दे दिए है।”
यह सुनकर कंडक्टर मुस्कुराया और कहा, “तुम गाँव के मंदिर के नए पुजारी हो?”
पुजारी ने उत्तर दिया, “हाँ।”
कंडक्टर ने कहा, “मैंने आपके बारे में बहुत कुछ सुना और बहुत दिनों से आपके प्रवचन सुनने की इच्छा थी। जब मैंने तुम्हें बस में देखा तो मैंने सोचा चलो देखते हैं कि अगर मैं तुम्हें और पैसे दे दूं तो तुम क्या करोगे।
अब मेरा मानना है कि आपका आचरण आपके प्रवचन के समान है, जिससे सभी को सीख लेनी चाहिए।
यह सुनकर पुजारी के पसीने छूट गए, बस के छूटने के बाद पुजारी ने हाथ जोड़कर भगवान का शुक्रिया अदा किया, “भगवान! कई बार धन्यवाद, तुमने मुझे बचाया।
मैंने दस रुपये के लालच में आपकी शिक्षा के लिए बोली लगाई थी लेकिन आपने मुझे सही समय पर सही काम करने का मौका दिया।”
कहानी से सीख :-
कभी-कभी, हम भी, अपने जीवन की चरित्र पूंजी के मूल्य को सबसे छोटे प्रलोभनों में दांव पर लगाते हैं। इसलिए हमें कभी भी प्रलोभनों के आगे नहीं झुकना चाहिए और चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो सही काम करना चाहिए।
दोस्तों आज की हमारी बस कंडक्टर और पुजारी की Motivational Story, प्रेरणादायक कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताये। और अपने मित्रों के साथ facebook, watsapp और Instagram पर शेयर करें।
धन्यवाद।